रेत की लहरों पर दास्तानें सुनाकर अभी गुज़रा बंजारा~संदर्भ: जाबिर हुसेन की कविताएँ
संसद में पाँच साल की सोना ने सभासदों से कहा — कहना अगर कह सको धरती प्रेम के लिए बनी है शांति और मैत्री न्याय और समता के लिए बनी है नफ़रत और प्रतिशोध के लिए नहीं दहशत और हिंसा के लिए तो क़तई नहीं सभासदो ! अपने राजा से कहना अगर कह सको हमें वफ़ादार ही रहने दें दास नहीं बनाएँ।...
Posted On February 8, 2018 8:57 pm